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लाल चूंदड़ी दामण काला / रणवीर सिंह दहिया
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लाल चूंदड़ी दामण काला, झूला झूलण चाल पड़ी।
कूद मारकै चढ़ी पींग पै देखै सहेली साथ खड़ी।।
झोटा लेकै पींग बधई, हवा मैं चुंदड़ी लाल लहराई
उपर जाकै तले नै आई, उठैं दामण की झाल बड़ी।।
पींग दूगणी बढ़ती आवै, घूंघट हवा मैं उड़ता जावै
झोटे की हिंग बधावै, बाजैं पायां की छैल कड़ी।।
मुश्किल तै आई तीज, फुहारां मैं गई चुंदड़ी भीज
नई उमंग के बोगी बीज, सुख की देखी आज घड़ी।।
रणबीर पिया की आई याद, झूलण मैं आया नहीं स्वाद
नहीं किसे नै सुनी फरियाद, आंसूआं की या लगी झड़ी।।