प्रगति गीत / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’
मैं काम करता जाऊँगा
जीवन की बाधाओं को
कत्लेआम करता जाऊँगा
जीवन में मिलने वालों का
मैं स्वगत करता आया हूँ
मरने की हुई जरूरत जब
मौके पर मरता आया हूँ
परवाह न है सुझको तेरी
मौके पर मरता जाऊँगा
मैं काम करता जाऊँगा
कहने वाले कुछ कहते हैं,
रूक कर उनका सुन लेता हूँ
उससे जो सार निकलता है
चुपके से सब चुन लेता हूँ
सबके मथने पर कुछ भी तो
परिणाम लेता जाऊँगा
मैं काम करता जाऊँगा
बहुतेरे ऐसे मिले जिन्हें
बातों से काफी मतलब है
पर जीवन की गहराई का
जो कुछ है थोथा अनुभव है
उनको मस्ता का नया नयुा
पैगाम देता जाऊँगा
विगड़ा क्या यदि पगडंडी है?
इसको ही विस्तृत करलूंगा
सूखे उर से करूणा का रस
थोड़ा भी निःसृत करलूंगा
विश्वास अटल है पत्थर को
भगवान बनता पाऊगा
मैं काम करता जाऊँगा
हिम्मते - मर्द, मददे है खुदा
अपने पावों पर बल डालो
पीछे जा कदम खींचता है
उसको बस वहीं कुचल डालो
कह दो तेरी करनी का कुछ
अंजाम देता जाऊँगा
मैं काम करता जाऊँगा