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अल्हुआष्टक / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’

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पति राखन अल्हुआ नाम हमर।
अछि नाम अधिक बदनाम हमर॥
उपजल घर घर में फटक फन्दद्व
नेता भेलाह सब नजर बन्द।
सब वस्तु शहर भरि भेल मन्द,
कुदि पड़लहुँ सम्मुख सकरकन्द॥
तैं पावि रहल आराम शहर।
पति राखन अल्हुआ नाम हमर॥
पहिने दछिनाहा लगक बास,
दिन प्रतिदिन कैलक हमर ह्रास।
मेरचाइ नोन छल मात्र आस,
किछुमिला करइ छल सर्व ग्रास॥
मचि जाइत छल सब ठाम कहर।
पति राखन अल्हुआ नाम हमर॥
बड़का घूड़क ओ भुंभुर आगि,
घोंसिआय दैत छल हृदय जागि,
सब बाप पुतेँ परिवार लागि॥
खीचइ छल कोमल चाम हमर।
पति राखन अल्हुआ नाम हमर॥
बाबू! आत्मा सँ परम शुद्ध,
हम थिकहुँ महात्मा सिद्ध-बुद्ध।
चिकरैत भेल जौं कण्ठ रूऋ,
हम जगत पसारल महा युद्ध॥
सुनलन्हि ई सीताराम हमर।
पति राखन अल्हुआ नाम हमर॥
घर घर मे सबहिक धान सठल,
बड़ बड़ कुटुम्ब लग मान घटल।
‘‘प्रेमी कृषकक सरकार अटल,’’
ई सुयश हमर संसार पटल॥
दीनक घर छल विश्रामक घर।
पति राखन अल्हुआ नाम हमर॥
‘बाबू भैया’ अपनाय लेले,
मिसरी दूधक सहयोग देल।
सौभाग्यक तेँ अछि उदय भेल,
मनमस्त हमर बस झूमि गेल॥
बड़का घर हमर दलानक घर।
पति राखन अल्हुआ नाम हमर॥
के बजता सम्मुख हमर आवि?
अलगट्टे तनिका देबनि दाबि।
संसार सुयश अछि रहल गाबि,
हम गेलहुँ अपन साम्राज्य पाबि॥
के कै सकता अपमान हमर?
पति राखन अल्हुआ नाम हमर॥
माखन मिसरी केँ देलन्हि छोड़ि,
स्नेहक बन्धन केँ लेलन्हि तोड़ि।
हमरा सँ पुरना प्रेम जोड़ि,
रहलाह ताकि सब खेत कोड़ि॥
मन्दिरक थिका घनश्याम हमर।
नहिं रहथि विधाता वाम हमर।
पति राखन अल्हुआ नाम हमर॥