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प्रभो! तुम्हारी सहज कृपा पर / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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  (राग जंगला-तीन ताल)

 प्रभो! तुम्हारी सहज कृपा पर मुझको सदा रहे विश्वास।
 कभी न हो संदेह, हृदय तुमसे हो नहीं कदापि निराश॥
 तुम ही एक त्राणकर्ता हो, तुम अनन्य शरणद भगवान।
 योग-क्षेम तुम्हीं हो मेरे, भूले कभी न मन यह भान॥
 रहूँ तुहारे चरण-देशमें, नहीं कभी जान्नँ अन्यत्र।
 सदा तुहारी रक्षकताकी हो अनुभूति मुझे सर्वत्र॥
 रहूँ तुहारे बलसे, हे प्रभु! सदा, सभी विधि मैं बलवान।
 पाप-ताप छू सकें न मुझको, कभी न मनमें हो अभिमान॥
 सदा विनम्र रहूँ चरणोंमें, सदा तुहारा लूँ शुचि नाम।
 सदा सभीमें नाथ! तुहारे दर्शन कर पान्नँ अभिराम॥