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रस-सिद्धान्त से आगे / महेश उपाध्याय

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आज की कविता एक पान है
कत्था : शृंगार रस
चूना : हास्य रस
सुपारी : वीर रस
कवि सम्मेलन :
पान की दुकान है
गोष्ठी : पानदान है ।