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आँधी आएगी (नवगीत) / महेश उपाध्याय
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चीलें उतर रही हैं
शायद आँधी आएगी
आख़िर कब तक हाड़
माँस महँगाई खाएगी
गर्मी के दिन-सी बढ़ती है
क़ीमत चीज़ों की
अलमारी मालकिन रह गई
तीन कमीज़ों की
धोती कब तक धोती में
थेगड़ी लगाएगी
आँधी आएगी
आँगन में ख़ून के खिलौने
चहक नहीं पाते
आधे-भूखे दिन घर में
टूट कर बिखर जाते
अब तो धरती आसमान पर
हाथ उठाएगी
आँधी आएगी