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तेज़ धार का कर्मठ पानी / केदारनाथ अग्रवाल

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तेज़ धार का कर्मठ पानी,

चट्टानों के ऊपर चढ़ कर,

मार रहा है

घूँसे कस कर

तोड़ रहा है तट चट्टानी !