भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तेज़ धार का कर्मठ पानी / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:27, 28 फ़रवरी 2008 का अवतरण
तेज़ धार का कर्मठ पानी,
- चट्टानों के ऊपर चढ़ कर,
मार रहा है
घूँसे कस कर
तोड़ रहा है तट चट्टानी !