तुम रोबो नहीं हो / लीलाधर जगूड़ी
मेरे बच्चे तुम उन बहुत सारे बच्चों के बच्चे हो
जो पूर्वजों के भी पूर्वज थे
करोड़ों वषों के बाद तुम आये हो
तुम जानोगे कि कैसी कैसी सांस्कृतिक आपदाओं से
गुजरे हैं हम
तुम जानोगे कि जानना भी एक सांस्कृतिक आपदा से
गुजरना है
मेरे बच्चे तुम एक स्वयं विकासमान-ह्रासमान जीन हो
तुम रोबो नहीं हो
जीवन के बड़े खेल में तुम्हें खिलौनों से बाहर आना है
बड़े-बड़े खिलाड़ी तुम्हें खेलने की ताक में हैं
अनजाने में से तुम्हें बहुत कुछ जानना है
तुम्हें जानना है कि गेहूँ न गोदामों में पैदा होता है
न कारखानों में
गेहूँ
लोहा और प्लास्टिक और कागज की लुगदी से
नहीं बन सकता
खेती उद्योग तो हो सकती है धातु नहीं
मेरे बच्चे तुम्हें बहुत खेल खेलने पड़ सकते हैं
नाचना भी पड़ सकता है बहुत
इसलिए जान लो कि घने जंगल और घास के मैदान
पार्सल से नहीं मँगाये जा सकते
यह ऐसे ही असंभव है जैसे चावल उगाना
जान लो कि चावल नहीं धान उगता है
मेरे बच्चे चूँकि तुम रोबो नहीं हो
इसलिए जान लो
दो बार किसी बीज का उपयोग करने के बाद
तीसरी किस्म का बीज पैदा हो जाता है
तुम्हारे पास पुराने बीजों के नये पौधे हैं
कइयों में से उनकी निजी गंध गायब करने के लिए
उनमें बीस और गुण डाले गये हैं
हमारी प्राचीन भूख ले आयी है नयी रोटियाँ
अपनी भूख तुम्हें और भी नयी लगेगी
भूख उपजाती है प्रतिभा। रोटी हमें सक्रिय रखती है
और कई ऐसी मिठासें हैं जो हमारा सारा नमक खा जाती हैं
मेरे बच्चे यह भी जान लो कि प्राकृतिक संसाधन
भोजन के मूल स्रोत हैं टेक्नालॉजियाँ नहीं
जो कच्चा माल है उसमें एक पका हुआ फल भी है
कली के खिलने पर अगर तुम्हें बेकली होती है
तो यह निश्चित जान लो कि तुम रोबो नहीं हो
और जान लो जो प्रकृति नहीं बनाती
जब हम वह बनाते हैं
तब हम अपनी किसी प्राकृतिक गुलामी का अंत कर रहे होते हैं।