भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पुकार / केदारनाथ अग्रवाल

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:17, 11 सितम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ऐ इन्सानों!
आँधी के झूले पर झूलो
आग बबूला बन कर फूलो
कुरबानी करने को झूमो
लाल सवेरे का मूँह चूमो
ऐ इन्सानों ओस न चाटो
अपने हाथों पर्वत काटो
पथ की नदियाँ खींच निकालो
जीवन पीकर प्यास बुझालो
रोटी तुमको राम न देगा
वेद तुम्हारा काम न देगा
जो रोटी का युद्ध करेगा
वह रोटी को आप वरेगा!