भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तय करें किस ओर / जगदीश पंकज

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:02, 18 सितम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जगदीश पंकज |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatNav...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

छद्म में जीते
स्वयं को छल रहे हैं
 
क्यों अन्धेरे की तरफ़
जाकर खड़े
अनजान से
छिप न पाएँगे
कभी भी
दोहरी पहचान से
 
किस विवशता में
अलग हो चल रहे हैं
 
तय करें किस ओर
अपना पथ
तथा जाना कहाँ
सब करें अन्याय
पर अब वार
जैसा हो, जहाँ
 
दृढ इरादे ही
सदा सम्बल रहे हैं