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मीनू दाइ / शिव कुमार झा 'टिल्लू'

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सबहक दुलरी मीनू दाइ
की कहू ओ लोहछलि आइ
मुँह फुलौने कनडेरिये ताकथि
आँखि गुड़रि क' हुलकी मारथि
खन कटाह बिलाड़ि बनि गुड़रथि
खन निःसांस एक्केसुर भोकरथि
दलिया देखि मुँह बिचकौलनि
हाथ छिटकि उत्ताप देखौलनि
उनटल बाटी गुड़कल जाइ
शंकर दोकानक चटपट चाही
दसटकिया लेल देखबथि धाही
सभ दिन करिऔन टका उगाही
तखने बाप पित्ती वाहवाही
सिक्कठि सन गलि क' बनि गेली
बड़ चंचल हम्मर ई चेली
सोहाबनि नहि छल्हिगर मलाइ
एक्के गुण छन्हि खूब पढ़ै छथि
संग-संग धमगिज्जरि करै छथि
प्रीति चिंकी छनि प्रिय सहेली
साक्षी जया संग उनटथि बेली
दिव्यांश गोविन्द संग लुडोक खेल
बात बात पर रेलम रेल
चोरि- नुकइया खूब सोहाइ
छोटकी माय सँ बड़ छन्हि मेल
किए त' ओ करै छथि मालिश तेल
सिनेही मम्मीक पियरगर बाबू
हुनके सँ ई नेना रहै छथि काबू
अमित सर सँ झूठ बजै छथि
उदाहरण देखि क' नक़ल करै छथि
एकटा गप्प सुनू औ भाय
आब हुनका नहि बौंसबनि आइ