भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सुना है कि उनसे मुलाकात होगी / नज़ीर बनारसी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:45, 15 अक्टूबर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नज़ीर बनारसी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पन्ना बनाया)
सुना है कि उनसे मुलाकात होगी
अगर हो गयी तो बड़ी बात होगी
निगाहों से शरह <ref>वर्णन, भाष्य</ref> हिकायात <ref>कहानियाँ, दास्तानें</ref> होगी
जुबाँ चुप रहेगी मगर बात होगी
मिरे अश्क जिस शब के दामन में होंगे
यकीनन वो तारों भरी रात होगी
समझती है शामों सहर <ref>शाम,-सुबह</ref> जिसको दुनिया
तिरे जुल्फों आरिज <ref>केश और कपोल</ref> की खेरात होगी
न सावन ही बरसा न भादों ही बरसा
बहुत शारे सुनते थे बरसात होगी
मुहब्बत बहुत बेमजा होगी जिस दिन
जुबाँ बेनियाजे शिकायात <ref>शिकायतो से बेपरवाह</ref> होगी
वहाँ कल्ब <ref>हृदय, मन, बु्िरद्ध</ref> की रोशनी साथ देगी
जहाँ दिन न होगा फकत रात होगी
’नजीर’ आआ रो लें गले मिल के हम तुम
खुदा जाने फिर कब मुलाकात होगी
शब्दार्थ
<references/>