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बनारस की गली / नज़ीर बनारसी

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हर गाम पे हुशियार बनारस की गली में
फ़ितने भी हैं बेदार बनारस की गली में

ऐसा भी है बाज़ार बनारस की गली में
बिक जायें ख़रीदार बनारस की गली में

हुशियारी से रहना नहीं आता जिन्हें इस पार
हो जाते हैं उस पार बनारस की गली में

सड़कों पे दिखाओगे अगर अपनी रईसी
लुट जाओगे सरकार, बनारस की गली में

दूकान पे रूकिएगा तो फिर आपके पीछे
लग जायेंगे दो-चार बनारस की गली में

हैरत का यह आलम है कि हर देखने वाला
है ऩक्श ब दीवार बनारस की गली में

मिलता है निगाहों को सुकूँ हृदय को आराम
क्या प्रेम है क्या प्यार बनारस की गली में

हर सन्त के, साधू के, ऋषि और मुनि के
सपने हुए साकार बनारस की गली में

शंकर की जटाओं की तरह साया फ़िगन <ref>साया करने वाला, सरपरस्ती छाँह देने वाला</ref> है
हर साया-ए-दीवार बनारस की गली में

गर स्वर्ग में जाना हो तो जी खोल के ख़रचो
मुक्ति का है व्योपार बनारस की गली में

शब्दार्थ
<references/>