किहानी / पढ़ीस
काका, तुमते का कही फेरि,
यह चाक <ref>याक, एक</ref> किहानी आजु केरि?
हयि बड़ा अजूबा<ref>अद्भुत, आश्चर्यजनक</ref>, बड़यि मजा,
सुनतयि रहि जइहउ हेरि-फेरि।
मरघटियन<ref>मरघट, श्मशान</ref> ऊपर भरी भीर,
छा-सात जनाउर<ref>जानवर</ref> आये हयिं।
हयिं हॉथ-ग्वाड़ अउ<ref>और, एंव, तथा</ref> मूड़उ हयिं
टप्पा<ref>आँखों का आवरण-चश्मा, कोल्हू के बैल की आँखों का आवरण</ref> आँखिन पर छाए हयिं।
काकनि हम कँधई ते पूँछय्न
उनकी पूँछइ<ref>पूँछ, दुम</ref> को काटि लिहिसि?
‘‘अंगरेजु आयि सरकार जउन।’’
कहि कयि हमका रपटाइ<ref>दौड़ाना</ref> दिहिसि <ref>देना</ref>
काका, का अइस्यन बात आयि?
यह जाति फिरंगी<ref>अंग्रेज</ref> मनइन की!
महिरावन की बिटिया अउ
बाँदर<ref>बन्दर</ref> ते भयि पइदायिसि<ref>पैदाइश, जन्म</ref> इनकी?
काका, दुइ-तीनि लढ़ी<ref>लम्बी बैलगाड़ी</ref> - आयिसी
मुलु<ref>लेकिन</ref> उनमा पहिया चारि-चारि,
का मोटूकाटयि<ref>मोटर कार</ref> यिहे आयि ?
छुवतयि तुरतयि भर्रायि उठीं।
ठाकुर जब प्वात<ref>लगान, पौत्र</ref> असुल<ref>वसूल करना</ref> करयिं,
बदूकु - दुनारी<ref>दोनली</ref> धरी रहयि;
मुलु सह्यबन तीर तीनि वइसी,
दुइ हाहाहूती<ref>विशालकाय</ref> देखि परयिं।
वह याक म्यहरिया जानि परयि
का, मदु-अयिसि, ढहनारू<ref>विशालकाय ठूँठ</ref> अयिसि!
कंजी - कंजी, हाँ गोरि - गोरि,
का जानी काका कयिसि-कायिसि!
वह मूड़ु फ्यकारे<ref>खोले हुए</ref> घूमति हयि
सब अंगु उघारे झूमति हयि;
वह कदू-कुदक्का ख्यालति हयि!
व्हढ़नी<ref>ओढ़नी, दुपट्टा</ref> गलजिंदा<ref>गले में लपटी हुई चुन्नी, स्कार्फ़</ref> डारे हयि।
हयि याक छोलदारी<ref>छोलदारी, झोपड़ी नुमा टेण्ट</ref> संघयि,
टिल्लन<ref>टीलों</ref> पर तउने तानि दिहिनि;
दुइ कुत्ता बड़के बाघु अयिस
द्यखतयि द्याखति रपटायि लिहिन।
काका, उइ ल्वखरिउ<ref>लोमड़ी</ref> खायि लिहिन!
भँूजिनि टिकठी<ref>मृत शरीर को ले जाने वाला बाँस का आसन</ref> के बाँसन ते!
अधमरी रहयि अधजरी किहिनि,
झर्सी<ref>झुलसी, झुलसना</ref> झारी<ref>साफ़ करना</ref> कुस - कॉसन ते।
बखतयि<ref>बत्तखें</ref> बक च्वाँचयि<ref>जंगली मुर्गी की नस्ल का एक पक्षी</ref> मारि-मारि
पर झारि-झारि पटनारू<ref>ढेर, इक्ट्ठा करना, एकत्र करना</ref> किहिनि;
चंदी चाचा के चाफॅद<ref>खेती के अयोग्य बंजर भूमि का टुकड़ा</ref> मा
दस-बीस मुरयिला मारि लिहिनि।
काका, जब आयिं निसाचर <ref>निशाचर, राक्षस</ref> यी
तब इनकी सींगयि कहाँ गयी?
तुम कहति रहउ महिखासुर के
कुरॅबा<ref>कुनबा, खानदान, परिवार</ref> का अयिस रूपु आयी।
पॅच-पेड़वन तीर तलय्यन मा
मछरी पकरायिनि दुई झउआ<ref>बडे़ आकार की डलिया</ref> ।
भूँजिनि, खायिनि, बाँटिनि चूँटिनि
कुछु पायि गवा छोटका नउआ।
छोटकवा लरिकवा साथ रहयि,
उहु आपु-आपु घिघियायि<ref>खुशामद करना, घिघियाना</ref> लाग;
कबरा कुतवा कुत्तन का देख्सिि,
पोयिं - पोयिं पिपिहायि लाग।
उइ ठीक दुपहरी मा लउटे
तंबू भीतर तनियायि<ref>सो जाना</ref> दिहिनि;
काकनि, उयि खायिनि सात दाउें,
फिरि खायि लिहिन, फिरि खायि लिहिनि।
सँझवतिया आयी बड़ी झील मा
डलय<ref>सात बार- बेड टी, ब्रेक फास्ट, सपर, लंच, टी स्नैक्स, डिनर</ref> की डोंगिया डारिनि;
पयिरिनि-पयिरायिन, नाउ - न्यवारा
खेलि - खेलि का किलकारिनि।
सिटटी - पपिहरी बजायिन मानउॅ
रोयि - रोयि का कुछु गायिनि।
कस याक - याक का पकरि -पकरि;
म्यहरिन्दो उचकि - उचकि नाची!
भरि - भरि स्वनहुले गिलासन मा
बोतल का पानी खोलि - खोलि।
दयि दिहिनि तपउना जानि परयि,
गिटि-पिटि-गिटि-पिटि कुछु बोलि-बोलि।
भोगई की भूड़न पर आये,
तब याक अयिसि बटिया पारिनि;
कॅधई सरऊ के मँुहिं मा, बोतल
का पानी, उँड़िलायि दिहिनि।
काका, कँधई तो कँधई हयिं,
उयि किरिहटान<ref>क्रिस्टान, क्रिश्चियन, ईसाई</ref> कयिसे ह्वयि हयिं?
उनके लरिका, बिटिया, महतारी,
कयिसे धरमु छाँड़ि द्याहयिं ?
जब लागि ज्वँधैया<ref>चन्द्रमा</ref> अथवयि<ref>अस्त होना, डूबना</ref>, हन्नी<ref> सप्तर्षि मंडल के तारागण, हिरन</ref>
पँच - भिट्ठन ऊपर आयी;
मोटरयि हिहिनि कुछु घर्र - घर्र
अयिसी आयीं, वयिसी आयीं।
सीसा की हँड़िया - अयिसी कुछु
उयि आपुयि रूपु बरयि लागी;
मोटर अस जानि परयि भाजी;
अब हे भाजीं, अब हे भाजीं।
जो जयिस, रहयि, तिहिका तयिसयि
फिरि साह्यब बकसीसयि<ref>बख्शीश, इनाम</ref> बाँटिनि।
थयिला मा रूपया रहयिं चवन्ना।
लोट लम्बरी ते छाँटिनि।
जब चलयि लागि साह्यब तब
हम हूँ झाँक्यन-झुँक्यन, सलाम किह्यन;
फिरि चारि चवन्ना चाँदी के
चच्चू जी, अँयिठि इनामु लिह्यन।
सब द्याखयि कीन तमासा
उयि कउँधा<ref>बिजली, शम्पा, विद्युत</ref> ह्वयिगे, बिजुली ह्वयिगे;
बसि, पलक मारतयि मा मोटर
का जानी का किरला कयिगे।
काका, अँगरेज पताल - लोक ते
आये कहती दीदिनि हयिं;
उयि करयि बड़ी किम्मागोई<ref>किमियागारी, मूल फारसी में - ‘चेमीमगोई’</ref>,
तिहि ते युहु देसु खरीदिनि हयि।
तबहे उनकी बंकन<ref>बैंक</ref> मा हयिं
रूपयन के गरगज गाँजि रहे।
तब तउ उनके बँगलन पर हैं
अँगरेजी बाजन बाजि रहे!
काका, अँगरेजन के दुनउ
ब्यारिया तरकारी बनती हयिं;
अउ पहितिउ<ref>दाल</ref> परयि छउँक लागयि,
सक्करउ होयि तब उयि ज्यांवयिं<ref>भोजन करना</ref>?
ठाकुर साह्यब ते नीक खायिं,
का उयि ठाकुर के ठाकुर हयिं?
मुस्क्यान करयिं, किलक्यान करयिं
मन्नान करयि, भन्नान करयि?
काका, कॉसन के पुरवा मा
सब भँूखन ते चिल्लान करयिं!
मुरझान करिय बिरझान करयिं
बिल्लान करयिं, अकुतान करयिं।
काकनि, जब रामु घरयि जायउ,
अतनी फिरियादि जरूर किह्यउ-
‘‘जो जलमु हिह्यउ हमका स्वामी
अँगरेजयि के बच्चा कीन्ह्यउ।’’
अँगरेज न ह्वयि पायउ काका,
तउ जिमींदार के घर आयउ;
वहि मा कुछु मीन-मेखु बूकयिं,
तउ तुम पटवारी ह्वयि जायउ।
पटवारी गीरी जो न देयिं,
तउ चउकीदारी छीनि लिह्यउ;
बसि जलमु-जलमु आनन्दु किह्यउ,
सुख ते सोयउ, हँसि कयि जाग्यउ!
दुइ पहर दिनउना चढ़ि आवा
जायिति हयि रामु का कामु करयि;
बड़कये ख्यात ते का जानी
क्यतने कँगलन का पेटु भरयि।