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जब परिन्दा उड़ान बदलेगा / सूफ़ी सुरेन्द्र चतुर्वेदी

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जब परिन्दा उड़ान बदलेगा ।
देखना आसमान बदलेगा ।

हाथ गीता पे अपने रख कर तू,
बोल कितने बयान बदलेगा ।

गुमशुदा हो गया है आज कहाँ,
कह रहा था जहान बदलेगा ।

जुगनुओं की मदद से सूरज का,
क्या भला ख़ानदान बदलेगा ।

कितनी जद्दोजहद के बाद भी वो,
एक नन्हीं-सी जान बदलेगा ।

तीर वो ही ना चूकने वाले,
हर दफ़ा बस कमान बदलेगा ।

क़ैद पिंजरे में ख़ुद भी रह के वो,
पंछियों की ज़ुबान बदलेगा ।

अपने चेहरे महज़ बदलने को,
और कितने मकान बदलेगा ।