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प्रथम दिन के सूर्य ने / रवीन्द्रनाथ ठाकुर

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प्रथम दिन के सूर्य ने
किया था प्रश्न एक
सत्ता नूतन आविर्भाव में
‘कौन हो तुम ?’
मिला नहीं उत्तर कुछ।
वर्षों यों ही बीत गये,
दिवस का शेष सूर्य
शेष प्रश्न करता है
पश्चिम सागर तीर पर
निस्तब्ध संध्या में
‘कौन हो तुम?’
मिला नहीं उत्तर कुछ।

वास भवन: जोड़ासाँको कलकत्ता
प्रभात: 17 जुलाई, 1941