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साँवरिया घर आजा ! / कांतिमोहन 'सोज़'
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साँझ भई लौटे बनपाखी साँवरिया घर आजा !
आ जा !
साँवरिया घर आजा ।।
दरसन की प्यासी अँखियन को
एक झलक दिखला जा
तन की अगन तपन कन-कन की
मन की थकन मिटा जा !
आ जा !
साँवरिया घर आजा ।।
बिरह सताय जिया घबराए
सूरतिया दिखला जा
मेघ डराय समझ नहिं आए
आँगन कुटी छवा जा
आ जा !
साँवरिया घर आजा ।।
धीर बँधा जा नैन जुड़ा जा
सोई आस जगा जा !
या घर आजा अंग लगा जा
या फिर मोहे मिटा जा !
आ जा !
साँवरिया घर आजा I
साँझ भई लौटे बनपाखी साँवरिया घर आजा !
आ जा !
साँवरिया घर आजा ।।