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कल सवेरे मेरे जन्मदिन में / रवीन्द्रनाथ ठाकुर

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कल सवेरे मेरे जन्मदिन में
इस शैल अतिथिवास में
बुद्ध के नेपाली भक्त आये थे मेरा संवाद सुन।
भूमि पर बिछाकर आसन
बुद्ध का बन्दना मन्त्र सुनाया सबने मेरे कल्याण में
ग्रहण कर ली मैंने वह पुण्य वाणी।
इस धरा पर जन्म लेकर जिस महामानव ने
समस्त मानवों का जन्म सार्थक किया था एक दिन,
मनुष्य जन्म क्षण से ही
नारायणी धरणी
प्रतीक्षा करती आई थी युगों से,
जिनमें प्रत्यक्ष हुआ था धरा पर सृष्टि का अभिप्राय,
शुभ क्षण में पुण्य मन्त्र से
उनका स्मरण कर जाना यह मैंने
प्रवेश कर अस्सी वर्ष पहले मानव लोक में
उस महापुरूष का मैं भी हुआ पुण्यभागी।