भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उनके लिए / सुरेन्द्र रघुवंशी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:57, 22 नवम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेन्द्र रघुवंशी |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पन्ना बनाया)
मुझे इस तरह
अचानक नहीं कूदना चाहिए था
भावनाओं की बहती नदी में
वहाँ कुछ देर बाद ही चूक गई
हाथ-पैर हिलाकर तैर सकने की ताक़त
आँखों के दृश्य के दायरे में
चौतरफ़ा विस्तृत और अथाह
जलराशि का समतल दर्पण था
जिसमें सिर्फ़ मौत का मुँह दिखता रहा
उनके वचनानुसार
मेरी रक्षा के लिए
वहाँ कोई नाव नहीं चल रही थी समानान्तर
और न ही गोताखोर थे मेरे लिए
यह एक भयानक सच है
कि व्यूह रचना की सारी परिस्थितियाँ
मेरे डूब जाने की प्रतीक्षा में थीं
और किसी तरह
मेरे बच पाने का समाचार
उनके लिए
दुःखद और आश्चर्यजनक था