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आग जल रही है / केदारनाथ अग्रवाल
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आग जल रही है
जंगल में प्रकाश के साथ
दोनों हम उम्र--दोनों जवान
वन के बाँस
पथ के पेड़
जल रहे इनसे
खड़े हैं
(रचनाकाल :28.08.1965)