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अच्छे दिन / शशि पाधा

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लगता है मिट जाएगा
जन -जन का संताप
अच्छे दिन की सुन ली जब से
धीमी सी पदचाप ।

नई भोर की धूप नई
गाँव-गली छा जाएगी
द्वारे-द्वारे आँगना
तुलसी सी सज जाएगी

मेले -ठेले गूँजेगा
खुशियों का आलाप।

बेकारी-लाचारी अब
ढँढे दूजी ठाँव
आशाएँ नित बाँटेंगी
सुख की शीतल छाँव

चौपालों पे रात-दिन
चैन का होगा जाप।

वचनबद्ध जब राष्ट्र हो
कर्म भाव निष्काम
संकल्प में, विश्वास में
निराशा का क्या काम

हर लेगा सद्भाव अब
मानवता का ताप
अच्छे दिन की सुन ली हमने
धीमी सी पदचाप