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इनका पत्थर होना गाता हूं / नीलोत्पल
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मैं उन्हें माफ़ नहीं कर सकता
जिन्होंने पेड़ काटा
और पत्तें वहीं छोड़ दिए
मैं इन उदास और बिखरे पत्तों के साथ
शाम गुज़ारता हूं
इनका पत्थर होना गाता हूं
इनका नहीं होना लिखता हूं
मैं वापस नहीं आता
वहीं रह जाता हूं
जहां से सूखे पत्तों की आवाजे
नहीं आतीं
बस एक पत्थर,
घाव
या कुल्हाड़ी की फाल की तेज़ी से आती चमक
जहां कटने से पहले ही कट जाने की खामोशी
गहन खामोशी उतरती है
रिक्त टहनी की तरह
इस टहनी में गांठें हैं
बांझ औरत की
टूटे पत्तों में नदी है
किनारों तक सूखी हुई
जिन्होंने पेड़ काटा
उन्हें जलाने के लिए अपनी देह दूंगा
कागज, कपड़े और अपनी कविताएं भी
लेकिन अपना प्यार, मासूम बच्चों की उदासी और
मुस्कान नहीं दूंगा
हरगिज़ नहीं
उन्हें भेज दो किसी और नरक में