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मिक्लोश रादनोती के लिए / नीलोत्पल

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इतनी ही दोस्त
ज़िंदगी हमारे लिए
कि तुम गए छोड़कर

हमने उम्मीदें नहीं कीं
बस तुम्हें जगाए रखा
शब्द नहीं तुम बोलते रहे

हमने एक दिन सूरज देखा
जिसके लिए तुमने साफ़ किए थे
खिड़कियों के शीशे

वक़्त चला गया है
तुम्हारी नींद में
हम इतना ही जानते हैं
कि हमने आंखें खोलीं रोशनियों में