यात्राएं / नीलोत्पल
मैं जीवन की यात्रा का अथक मुसाफ़िर
देखता हूं लोगों का उठना और गिरना
मैं दीवारों पर ढहाये गए संगीत को सुनता हूं
जो उन्होंने अपनी विफलता पर रचा
देखता हूं उन लोगों को
जो जीवन और मृत्यु के बीच करते हैं यात्राएं
वे ख़ुश ह,ैं वे उदास हैं
उन्हें नहीं मालूम शब्दों के परिणाम
उन्होंने सच और झूठ को चुना
और गति दी अपने कामों को
जनम कितनी कथाओं से भरे हैं
कि हर एक में रंगीन पत्तियां
गर्भ से निकलते ही समुद्र भर देने वाली मछलियां
तीखे डंक और शहद से भरी विचित्र मधुमक्खियां
इन्हीं में लोग अनंत स्वप्नों से भरे हैं
उनके भीतर की सुनामी लौट जाती है
उदास गीतों से टकराकर
वे अपनी जीत में बुनते रहे जीवन
वे संभावनाएं बनाते हुए निकल पडे अनजान राहों पर
वे लौटते रहे शहरी सीमांतों से
क्रांकीट को अपनी छायाओं से ढंकते हुए
वे मृत्यु के मुसाफ़िर रहे
वे रक्त संबंधों और जातिगत पीड़ाओं के सहभागी थे
मैं उनमें होता हूं
जैसे एक शब्द अपनी सुंदरता में कहीं खो जाता है
जैसे एक आवाज़ लौटती है अपना स्वर खो कर
और हमारी सारी सम्पदाएं रचती हैं
अपनी यात्राओं के भूगोल
सच जो परदा चाहता था
हमने किताबें लिखीं
उन किताबों से निकलकर आए वे
किन्हीं और आकारों में ढल जाने के लिए