Last modified on 24 दिसम्बर 2014, at 14:44

हरिजन बा मद के मतवारे / धरनीदास

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:44, 24 दिसम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धरनीदास |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBhajan}} {...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हरिजन बा मद के मतवारे।
जो मद बिना काठि बिनु भाठी, बिनु अगिनिहि उदगारे।
वास अकास घराघर भीतर, बूंद झरै झलकारे।
चमकत चंद अनंद बढ़े जिव, सब्द सघन निरूवारें।
बिनु कर धरे बिना मुख चाखे, बिनहि पियाले ढारे।
ताखन स्यार सिंह को पौरूष, जुत्थ गजंद बिडारे।
कोटि उपाय करे जो कोई, अमल न होत उतारें
धरनी जो अलमस्त दिवाने, सोइ सिरताज हमारे।