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मैं तो सदा स्याम को चेरी / स्वामी सनातनदेव

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राग पीलू, कहरवा 15.8.1974

मैं तो सदा स्याम को चेरी। तिनकी कृपा परम बल मेरो॥
और कोउ अब कहूँ न मेरो। स्याम बिना सब लगत अँधेरो॥
स्याम-चरन मेरो नित खेरो<ref>ठिकाना</ref>। करत हियो नित तहीं बसेरो।
चलों सदा तिनहीको प्रेरी। सुमिरहुँ स्यामहि स्याम सबेरो॥
पद-रति ही जीवन-रस मेरो। चहों न तासों कबहुँ निबेरो॥
छकि-छकिहूँ नहि छकहुँ छकेरो। भयो चित्त ताको ललकेरो<ref>ललक वाला, लोलुप</ref>॥
तन-मन-धन कछु रह्यौ न मेरो। यह सब लागत मोहिं बखेरो॥
यह उर स्याम मेघ जनु घेरो। वरसत रति-रस सतत सवेरो॥
सो रस सुधा पाय मन मेरो। भयो स्याममय जनु रसिकेरो॥
स्यामहि लगत सार सब केरो। रह्यौ न अग-जग कोउ बखेरो॥

शब्दार्थ
<references/>