भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सनातन मौसम / नरेन्द्र मोदी / अंजना संधीर

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:21, 11 जनवरी 2015 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अभी तो मुझे आश्चर्य होता है
कि कहाँ से फूटता है यह शब्दों का झरना
कभी अन्याय के सामने
मेरी आवाज की आँख ऊँची होती है
तो कभी शब्दों की शांत नदी
शांति से बहती है

इतने सारे शब्दों के बीच
मैं बचाता हूँ अपना एकांत
तथा मौन के गर्भ में प्रवेश कर
लेता हूँ आनंद किसी सनातन मौसम का।