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बदलते वक्त के साथ / भास्करानन्द झा भास्कर

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बदलते वक्त के साथ
सब कुछ
बदल जाते हैं
इस जिन्दगी में...!
हर रिश्ते नाते,
सुख -दुख
हर्ष-विषाद
प्रेम-घॄणा
शेष रहते हैं मात्र
वे क्षण ही
अविस्मरणीय-
सुखद
या दुखद…
क्षण भर के लिए
ही सही…
वेदना!
हर विरह की भी
बदल जाती है
संतुलित संवेदना में,
नैराश्यता में
छुपी होती है
अतीत की तिक्तता,
और...
फ़िर भी
भविष्य में
गर्भित होती रहती हैं
आशाओं से
वर्तमान मन की
समस्त प्रेम आकांक्षाएं...