भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आज पूछsता गरीबवा / जनकवि भोला

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:32, 16 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जनकवि भोला |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBho...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कवन हउवे देवी-देवता, कौन ह मलिकवा
बतावे केहू हो, आज पूछता गरीबवा
बढ़वा में डूबनी, सुखड़वा में सुखइनी
जड़वा के रतिया कलप के हम बितइनी
करी केकरा पर भरोसा, पूछी हम तरीकवा
बतावे केहू हो, आज पूछता गरीबवा
जाति धरम के हम कुछहूं न जननी
साथी करम के करनवा बतवनी
ना रोजी, ना रोटी, न रहे के मकनवा
बतावे केहू हो आज पूछता गरीबवा
माटी, पत्थर, धातु और कागज पर देखनी
दिहनी बहुते कुछुवो न पवनी
इ लोरवा, इ लहूवा से बूझल पियसवा
बतावे केहू हो आज पूछता गरीबवा।