भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बिरखा राणी / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:26, 24 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
आवै चढ बादळ री डोली
पी’रै बिरखा राणी !
साव सूखगी धरती मायड़
कर बेटी री ओळयूं
पून भायली भागी आई
कयो कळाप करो क्यूं ?
बा आई लाडेसर थांरी
करो हरख अगवाणी,
राम धणख रो हार गलै में
सतरंगो अणमोलो ,
दम दम दमकै घणो सोवणो
बिजली रो करलोळो,
छम छम बाजै छांटां पायल
लागै भली सुहाणी
बाथ घाल, बिरखा स्यूं लिपटी
जामण, हेत अणूंतो,
ऊळी दुख स्यूं दाझी काया
जाग्यो सपनो सूतो,
मोर टहुक्या वन बागां में
निरभै छतरी ताणी !