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बने दूल्हा छवि देखो भगवान की / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बने दूल्हा छवि देखो भगवान की,
दुल्हन बनी सिया जानकी।
जैसे दूल्हा अवधबिहारी,
तैसी दुल्हन जनक दुलारी,
जाऊ तन मन से बलिहारी।
मनसा पूरन भई सबके अरमान की। दुल्हन बनी...
ठांड़े राजा जनक के द्वार,
संग में चारउ राजकुमार,
दर्शन करते सब नर-नार
धूम छायी है डंका निशान की। दुल्हन बनी...
सिर पर कीट मुकुट को धारें,
बागो बारम्बार संभारे, हो रही फूलन की बौछारें।
शोभा बरनी न जाए धनुष बाण की। दुल्हन बनी...
पण्डित ठांड़े शगुन विचारें,
कोऊ-कोऊ मुख से वेद उचारें।
सखियां करती हैं न्यौछारें,
माया लुट गई है हीरा के खान की। दुल्हन बनी...
कह रहे जनक दोई कर जोर,
सुनियो-सुनियो अवधकिशोर,
कृपा करो हमारी ओर।
हमसे खातिर न बनी जलपान की। दुल्हन बनी...