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साप / राजू सारसर ‘राज’

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अै
जायदादां रा झौड़
अैकर नाकै छोड
हिवड़ै में सोच
नैठाव सूं
निसताई सूं
स्सौ की बटं जासी
हो जासी दो-दो पांती
घर-जर/जमीं-जागां
पण
है मा-पेट रो सीर
सुण म्हारा बीर
आपां सोयोड़ा हां
अैक ओझर में
आ रंगा में बै’वे थारै-म्हारै
अेक ई लोई/बता उण पेट
ओझरी अर लोई रो/कांई करस्यां?
बां मायतां रै
जीवंता थकां
बता बां मायतांरी आतमा रै
बध रो साप
कुण झेलसी?