भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लोक-कल्याण / राजू सारसर ‘राज’
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:34, 29 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजू सारसर ‘राज’ |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अकूरड़ी रै
कूटळै मांय सूं
नैनां-नैना टाबरियां नैं
खावण री जिन्सा चुगतां
अर बिना दवाई लावारिस
सांसा छोडतां लोगां नैं
देखतां
घणौं गुमेज होवै
अर म्हैं नवाऊं माथौ
म्हारै लोक कल्याणकारी राज नै।