भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

देखो सखि नई साड़ी श्यामलिया ने / बुन्देली

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:39, 29 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=बुन्देल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

देखो सखि नई साड़ी श्यामलिया ने,
रनबन की कर डारी मोरे लाल।
कौन शहर की जा नई साड़ी,
कौना की गोट किनारी मोरे लाल। देखो...
बम्बई शहर की जा नई साड़ी,
दिल्ली की गोट किनारी मोरे लाल। देखो...
किनने बिसा दई जा नई साड़ी,
किनने गोट किनारी मोरे लाल। देखो...
ससुरा बिसा दई जा नई साड़ी,
सासो ने गोट किनारी मोरे लाल। देखो...
कैसे के फट गई जा नई साड़ी,
कैसे के गोट किनारी मोरे लाल। देखो...