भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नजर लागी पिया पानी न जैहो / बुन्देली

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:53, 29 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=बुन्देल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

नजर लागी पिया पानी न जैहों।
पनिया भरन खों गई पनघट पें,
देखत छैला लोट भागी,
पिया पानी न जैहों।
जब से देखी सांवरी सुरतिया,
तब से नैना भये पाजी, पिया पानी न जैहों।
करत न बैन बहत दोऊ नैना,
कुसमी चुनरिया भई दागी, पिया पानी न जैहों।