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नजर लागी पिया पानी न जैहो / बुन्देली
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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नजर लागी पिया पानी न जैहों।
पनिया भरन खों गई पनघट पें,
देखत छैला लोट भागी,
पिया पानी न जैहों।
जब से देखी सांवरी सुरतिया,
तब से नैना भये पाजी, पिया पानी न जैहों।
करत न बैन बहत दोऊ नैना,
कुसमी चुनरिया भई दागी, पिया पानी न जैहों।