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माता डूंगर खटकी म्हें सुण्यो / मालवी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

माता डूंगर खटकी म्हें सुण्यो
सुन्नो घड़े रो सुनार
मोरे कसूम्बो रगमग्यो
सोनी घड़जे ईश्वर राम को मंूदड़ो
म्हारी रणु बाई दो नौसरियो हार
सोनी हार की छोलण ऊतरे
म्हारा सुभद्रा बई हो तिलक लिलाट
गोरे कसुम्बो रगमग्यो