भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भेरूजी गोतन बाजूटिया रा सावला / मालवी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:13, 31 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=मालवी }} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

भेरूजी गोतन बाजूटिया रा सावला
उनी सुतारण ले लाव ललकार
हातां री झालो देती आवे रे गुड़ री गूजरी
भेरू जी जो तम कलस्या रा सावला
उनी कुमारण से लाव ललकार
भेरूजी जो तम तेल-सिंदूर सावला
उनी तेलण खे लाव ललकार
भेरूजी जो तम नायका रा सावला
उनी कंठालण ले लाव ललकार
भेरूजी जोतम मेवा रा सावला
उनी मालण खे लाव ललकार
भेरूजी जो तम बीड़ा रा सावला
उनी तंवोलण खे लाव ललकार
भेरूजी जो तम घुघरा रा सावला
उनी सुनारण खे लाव ललकार
भेरूजी जो तम घी-खिचड़ा रा सावला
उनी कलालण खे लाव ललकार
भेयजी जो तम घी-खिचड़ा रा सावला
उनी बऊ खे लाव ललकार
भेरूजी जो तक भेंट का सावला
तो तम उना सेवक ले लाव ललकार
भेरूजी जो तम आरती का सावला
तो तम उनी कुंवासी खे लाव ललकार