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शीश रामदेव जी ने पागा विराजे / मालवी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

शीश रामदेव जी ने पागा विराजे
पेचा रो अदक सरूप
हाथ मजीरा रामदेव जी ने
खांदे तंदूरा रा अदक सरूप
रूणीजा मंे रमी रया हो
कान में रामदेव जी ने मोती बिराजे
चूनी रो अदक सरूप
गळे रामदेव जी ने कंठी बिराजे
डोरा रो अदक सरूप
अंगे रामदेव जी ने बागी बिराजे
केसर रो अदक सरूप
हात रामदेव जी ने पोंची बिराजे
कड़ा रो अदक सरूप
पांव रामदेव जी ने मोजा बिराजे
मेंदी रो अदक सरूप