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सान्ति के परचम / विनय राय ‘बबुरंग’

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बम बना के मानवता के जनि करीं खतम।
देस अहिंसा पूजत आइल जिन्दा रहे रसम।।

बड़ा भागि से मानव क ए धरती पर अवतार होला
बड़ा भागि से हाथ में लेके नइया खेवनहार होला
आज क माफिया देखे सपना हिटलर से ना कम
बम बना के मानवता के जनि करीं खतम।।
ए दुनियां में कइसे आपन घर-घर दिया जराईं
अइसन नीति जहर बोवत बा कइसे उन्हें बताईं
आतंकी आंगन में घूसल कइसे बढ़ी कदम
बम बना के मानवता के जनि करीं खतम।।

बम बनवले नफरत क ई आगि कबो ना बूती
तब बूती जब प्रेम क आगे सभकर माथा झूकी
ए मंतर क आगे कवनो काम न आई बम
बम बना के मानवता के जनि करीं खतम।।

होड़ लगल बा दुनिया भर में बम बनावऽ बम
एकर फल जापान से पूछीं मिटल ना अबहीं गम
अजुवो लंगड लूल अपाहिज लेलंऽ रोज जनम
बम बना के मानवता के जनि करीं खतम।।

चले चान पर जाके केहू आपन झंडा गाड़ल
एतना युग आगे भागल कि छाती अपने फारल
अबकी एटम जुद्ध भइल त होई सृस्टि भसम
बम बना के मानवता के जनि करीं खतम।।

फूल खिली ना कहीं चमन में दुनियां क कवनो कोना
रूपा अइसन रूप ना चमकी चानी सोना
ई परलय ना देखी केहू रउवा रहब न हम
बम बना के मानवता के जनि करीं खतम।।

मानवता क रक्षा खातिर आगे कदम बढ़ाई जा
नारा देके सत्य प्रेम क जीवन जीत बढ़ाई जा
आवऽ दुनियां में फहराईं सान्ती के परचम
बम बना के मानवता के जनि करीं खतम।।