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वेलकम / विनय राय ‘बबुरंग’

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रेल बस कम-भीड़ हरदम
कइसे चली गाड़ी
शासन बन्दम।
वेलकम वेलकम वेलकम।।

माई बाबू भाड़ में
भले मरे जाड़ में
उठावऽ अब रम
लेके बेगम।
खा के कसम
सरकारी रकम
हाय हाय नेताजी
क जा हजम
वेलकम वेलकम वेलकम।।

चाहे होंखी रउवा-चाहे होखी हम
ना केहू कम
चढ़े सभका बरम
वेलकम वेलकम वेलकम।।

मंदिर पर मेला
चलऽ हो चेला
चढ़ावऽ चिलम
भले जिनिगी खतम।
वेलकम वेलकम वेलकम।।

ई बुढ़वा बेदम
खाली बोले हरदम
एके घर से निकालऽ
जइसे दियरी क जम।
वेलकम वेलकम वेलकम।।
घर घर में छा गइल
ठाढ़े चबा गइल
अइसन ई काल बा,
दहेज बे सरम।
वेलकम वेलकम वेलकम।।

सास्त्रीय संगीत
क दिन गईल बीत
खोल के बटम
नाचऽ छमाछम
वेलकम वेलकम वेलकम।।

जे समझी हमें हीन
ओके करब, बे-दीन
ना केहू से नरम
करब हवा गरम।
वेलकम वेलकम वेलकम।।

भले खरची क तंग
चाहे उघार होखे अंग
बा विनय क कसम
मत बेचिहऽ कलम।
वेलकम वेलकम वेलकम।।