भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ब-नोके-शमशीर / रसूल हम्ज़ातव

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:51, 12 फ़रवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रसूल हम्ज़ातव |अनुवादक=फ़ैज़ अहम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरे आबा केः थे नामहरमे-तौक़ो-ज़ंजीर
वो मज़ामी जो अदा करता है अब मेरे क़लम
नोके-शमशीर पे लिखते थे ब-नोके-शमशीर
रौशनाई से जो मैं करता हूँ काग़ज़ पे रक़म
संगो-सहरा पे वो करते थे लहू से तहरीर