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जल जहाँ है / रमेश रंजक

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          जल जहाँ है !
वहाँ सूखापन कहाँ है ?

ज़िन्दगी ज़िन्दादिली जल बिन नहीं है
यह हक़ीक़त कुछ क़िताबों ने कही है
        आदमियत इम्तहाँ-दर-इम्तहाँ है
               वहाँ रूखापन कहाँ है ?

इम्तहाँ से ज़िन्दगी उजली बनी है
वह हमेशा कुनकुनी है, बहुगुणी है
बहुगुणी ज़िन्दादिली ही राज़दाँ है
              वहाँ भूखापन कहाँ है ?