बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
ऊंच ओसरवा नवा घर जहां खम्भा कुंदेर के भाये हैं हो
ओही ओढ़कैली उनकी माया सुना पिया साहेब हो
पांच बरिस केर दुलेरूआ बरूआ कै डारित हो
लागीतौ घिउ गुर गोहुआं लख बम्हना केर भोजन
बरूआ मा कुछू लागी हो
मैरे मा गोहुंवा बोवउबे कछरवा मा रहिला हो
पांच बरिस के दुलेरूआ बरूआ कै डारिया हो
काशी का पंडित बोलवउबै सुदिन बनवउबै हो
काशी का मलिया बोलवउबै पंचरतनी बनवउबैइ हो
काशी का मलिया बोलवउबै तौ भउरी बनवउबइ हो
काशी का दरजी बोलवउबै तौ जामा सियबइ हो
काशी का चमरा बोलवउबै तौ जूता बनवउबइ हो
काशी का लोहरा बोलवउबइ तौ कंगन बनवउबइ हो
पांच बरिस के दुलेरूआ बरूआ कै लेबइ हो।