भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बना सोवइं अंटारी लगावा सखी / बघेली

Kavita Kosh से
Dhirendra Asthana (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:24, 19 मार्च 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=बघेली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCatBag...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बघेली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बना सोक्इं अंटारी जगावा सखी
उनके मौरी मां लागी है अनार की कली कचनार की कली
अनार की कली
कचनार की कली
बेला फूल की कली
बना सोवइ अंटारी जगावा सखी
उनके कलंगी मां बनी है अनार पुतरी
अनार पुतरी
कचनार पुतरी
बेला फूल पुतरी
बना सोवइं अंटारी जगावा सखी
उनके कंगन का लगी है अनार की कली
अनार की कली
कचनार की कली
बेला फूल की कली
बना सोबइं अंटारी जगावा सखी
उनके जामा मा लगी है अनार की कली
अनार की कली
कचनार की कली
बेला फूल की कली
बना सोवइं अंटारी जगावा सखी