भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भइसासुर की अमिली रे / बघेली

Kavita Kosh से
Dhirendra Asthana (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:26, 19 मार्च 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=बघेली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCatBag...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बघेली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

भइसासुर की अमिली रे देव अमिली रे
अरर बरर गई डार देव भइसासुर रे
ऊपर मोतिया करहइं रे करहइं रे
तरे भइसा रखवार देव भइसासुर रे
उयं भइसा ना जान्या रे देव जान्या रे
जउन लादइं तेलिया कलार रे देव भइसासुर रे
बारह भाठी मद पियै रे देव मद पियै रे
सोरहा बकरा खाय रे देव भइसासुर रे
लोहेन के लौह सांकर टोरइं
फारइं बजुर केमार देव भइसासुर रे
भूतन दासन भूतन ओढ़न भूतन करइं अहार
देव भइसासुर रे
भइसासुर रे
भइसासुर की अमिली रे देव अमिली रे
अरर बरर गई डार देव भइसासुर रे