भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
घट छोड़ दे तिलंगवा भरौ गगरी / बघेली
Kavita Kosh से
Dhirendra Asthana (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:14, 20 मार्च 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=बघेली |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCatBag...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
बघेली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
घट छोड़ दे तिलंगवा भरौ गगरी - घट छोडद्य दे
सोनेन गगरी रूपेन गोनरी - घट छोड़ दे तिलंगवां
घट छोड़ दे तिलंगवा भरौ गगरी घट छोड़ दे
ठाढ़े भरौ राजा राम देखत हैं
निहुरि भरौ मोर भीजै चुंनरी - घट छोड़ दे
घट छोड़ दे तिलंगवा भरौ गगरी - घट छोड़ दे
चांड़े रेंगों मोर छलके गगरिया
धीरे रेंगों घर रोवइ बलकवा - घट छोड़ दे
घट छोड़ दे तिलंगवां भरौ गगरी - घट छोड़ दे