राजनीति ओ भ्रष्टाचार / शम्भुनाथ मिश्र
राजनीति भऽ गेल प्रदूषित सड़लो सब सरसर चढ़ि गेल
सड़ल जकर अँतरी भीतर धरि उँचके कुरसी तकरा लेल।।
राजनीति छल कूटनीति सब
बनल भ्रष्टनीतिक पर्याय
जनता बेचारा चालनिमे
दूहथु गऽ सरकारी गाय
भ्रष्टाचारक हाल समक्षे भेल जेना सब क्यौ निरुपाय
अस्त-व्यस्त सन्त्रस्त व्यवस्था भगवाने टा एक सहाय
देशक हितमे चिन्तनीय जे कोना कसायत एकर नकेल
सड़ल जकर अँतरी भीतर धरि उँचके कुरसी तकरा लेल
भ्रष्टाचारक अविश्रान्त
घोड़ा दौड़य सरपट अविराम
घून पसरि बढ़ि रहलै सबतरि
थिक आवश्यक लेब विराम
सीर पसरि कय गहे-गहे छै जकड़ि लेने सम्पूर्ण प्रदेश
आदर्शक धारा बहैत छल, आइ कहाबय सैह भदेश
भारत माता खिन्न भेल छथि पढ़लो पुत्र बनल बकलेल
सड़ल जकर अँतरी भीतर धरि उँचके कुरसी तकरा लेल
राजनीतिमे फफड़दलाली
जातिवाद ओ भ्रष्टाचार
जकर घोटाला जेहन पैघ हो
तकर तेहन आदर-सत्कार
पूर्वजकेर अरजल गरिमाकेँ फेकबा लय सबछी संलग्न
देशेकेर दिशा भसिआयल बुझा रहल नहि उत्तम लग्न
अन्धकार बढ़ि रहलै सबतरि अछि विवेक सबहक मरि गेल
सड़ल जकर अँतरी भीतर धरि उँचके कुरसी तकरा लेल
हाय हमर ई न्याय प्रणाली
अन्याये केर धारा तेज
कार्यपालिका आ विधायिका
भेल दुनू जनु हो निस्तेज
ब्लैकमनीकेर बल पर बहुतो संसदमे जा कऽ ओँघराय
भोट बेरमे ठकि-फुसिया कऽ दै अछि सबके फूँटि सुघाय
शिलान्यास उद्घाटन लाथेँ हो सरकारी खर्च अलेल
सड़ल जकर अँतरी भीतर धरि उँचके कुरसी तकरा लेल
राजनीति तिकड़ममे
भ्रष्टाचारक स्वर सबसँ बढ़ि उच्च
सब अतीत अति तीत बुझाइछ
आब भेल अछि काने बुच्च
भ्रष्टाचारे भेल प्रतिष्ठित, सदाचार ठोँठिआओल गेल
रक्षक सब रक्षाक नामपर अछि सबतरि भक्षक बनि गेल
राजनीति करबाक हेतु की भ्रष्टतन्त्र आवश्यक भेल?
सड़ल जकर अँतरी भीतर धरि उँचके कुरसी तकरा लेल