नता अष्टपदी / शम्भुनाथ मिश्र
करय जे हुआ-हुआ भरि पोख, कहाबय नेता सबसँ पैघ
खोधाबय नाम अनेको ठाम, कहाबय नेता सबसँ पैघ
मुदा नहि बाजक जकरा लूरि, न जानय चलबाकेर जे ढंग
कहाबय वक्ता आ अग्रेस, थिकै ई प्रजातन्त्रकेर रंग
थिकहुँ हम सबसँ ढिठगर लोक, तखन माला पहिरत के आन
देशकेर बड़का ठीकेदार, भने तीतरसँ छी बैमान
समाजक सब मुँहपुरुषो लोक, करत सब मिलि हमरे गुणगान
रहै अछि रंग-विरंगक लोक, कहाबय तेँ ने देश महान
देने छी सौंसे थारी छापि, कहाबी मठाधीश हम आइ
इलाका भरिक जुआयल लंठ, कहाबय हमरे चेला भाइ
मैट्रिको भेलहुँ भने नहि पास, तदपि छी शिक्षा मंत्री आइ
गरजि कय भाषण दी सबठाम, मंचपर फुसिये करी बड़ाइ
अहाँकेर थिक चिचिआयब काज, चलायब ओहिना अप्पन राज
देखि मन परखू आ परतारू, होयबे करतै अपन सुराज
करब मन्दिरमे जा कय पूजा, पढ़बै महजित जाय नमाज
मुदा हम राजनीतिकेर गोटी, चलबासँ नहि आयब बाज
पढ़ै छी गीता आ रामायण, रहै छी अहोरात्र बेचैन
चिकरि कय भाषण दै छी खूब, देशमे रहय अमन आ चैन
मुदा नहि मानब ककरो बात, सहब नहि जनताकेर आघात
रहय कुरसी धरि ठामे ठाम, भने क्यो मरथु जाथु वा कात
देशमे हमरे छल सरकार, चलै छल सगर विश्व व्यापार
कोना कऽ आगू बढ़तै देश, तकर हमरे पर दारमदार
सैन्यबल हेतु बढ़ाबक लेल, कयल बोफोर्स तोप व्यापार
मुदा से उनटे पड़ि गेल दाव, लागि गेल सबकेँ जाड़-बोखार
देशमे कतहु होय मतदान, चढ़य निर्दोषे सब बलिदान
चुनावक होइत घोषणा मात्र, लोकपर चढ़य लगै छै शान
लोकमे चहल पहल बढ़ि जाय, लगै अछि फुसिये करय बखान
देखि छथि भारत माता खिन्न, केहन भऽ गेल हमर सन्तान
देशक पुरल कतेको वर्ष, मुदा नहि हो विषाद वा हर्ष
कोना कऽ बढ़त वर्ग संघर्ष, हमर सिद्धान्तक जे उत्कर्ष
घोटालाकेर परत-दर-परत सूनि सब होइत जाउ सनाथ
डुबी नहि भ्रष्टसागरक बीच, लगौता पार त्रिलोकीनाथ