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सामयिक जोगीड़ा / शम्भुनाथ मिश्र

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असली काबिल, थीक जे छिटकी मारि खसाय
अपने आगू बढ़ल चलय बरु क्यौ कतबो चिचिआय
करय परवाहि न ककरो।

नीति अनीतिक भेद करब तँ ताकू कोनटा कात
अछि कलियुगमे जन्म भेल बाजू कलियुगिया बात
जीब तखने कलियुगमे।

अड़राहटि अछि मारि रहल पुरना आचार-विचार
वर्त्तमान चिचिया कहि रहलै खूब करी व्यभिचार
अमरता तखने पायब।

धर्म-अधर्मक रहय न अंतर असली सैह समाज
मन्दिरमे हर-हर, बम-बम कय महजित पढ़ी नमाज
समर्थन सबहक चाही।

सदन भेल हल्लाक अखाढ़ा, आवश्यक अछि ब्रेक
घेँट भने सबहक फराक हो, पेट सभक अछि एक
बात सत्ते कहैत छी।

रक्तबीज करइत अछि सहसह त्रस्त भेल संसार
दानव दल संहार करक हित आवश्यक अवतार
किए सूतल छथि ईश्वर?

सेवा भाव गेल चुलहामे शोषक भेल महान
दूषण-भूषण बनल समाजक शोषण भाव-प्रधान
शोषके पूज्य बनल अछि।

राम-राम बाजब सब बूझत धर्म विशेषक लोक
रामक चर्चा राम-राम कहि तुरत लगाबी रोक
धर्म सब थीक बराबर।

मूँह देखि कऽ मुँगबा परसब थिकै पुरनका बात
दूनू हाथेँ चाटि राबड़ी ताकी दूनू कात
नियम नबका बनलैए।

माया अपन पसारल माया कयल बोलती बन्द
हाथी दौड़ि रहल अछि सबतरि साइकिल पड़ि गेल मन्द
पता नहि कोन हवा छै।

बहुतोकेँ छल आश निश्चिते, कमलक बढ़त सुगन्ध
उनटि गेल परिणाम भेल तेँ, कमल, कमलकेर गन्ध
आशकेर टूटल सीमा।

अटल-हटल निज लक्ष्यसँ सटल अनटसँ जाय
बँटल मुख्य धारा जखन कटल सुधी समुदाय
पटल सत्ताक बिमारी।

थीक धर्म निरपेक्ष देश तेँ धर्मक कहाँ सबाल
धर्म नाश करबा लय चौदिस मचा रहल उत्फाल
काल करबाय रहल छै।

लालटेमकेर मद्धिम बत्ती सुझा रहल नहि बाट
तीर, कमल वा हाथ, झोपड़ी सबटा भेल सपाट
लोक सब असमंजसमे।

खन पुरिबा, खन पछबा सिहकय, खन डोलय चौबाइ
दल-दलमे अछि फँसल सकल दल, पाठ करू चौपाइ
आश बजरंगबली पर।