भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

शुद्ध जब विचार बा / सूर्यदेव पाठक 'पराग'

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ३ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:35, 30 मार्च 2015 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

शुद्ध जब विचार बा
सब जगह दुलार बा

आँख खोल के चलीं
ना कहीं अन्हार बा

मन वसन्त बा अगर
हर घड़ी बहार बा

झूठमूठ नाज बा
जिन्दगी उधार बा

नाव जब बढ़त चलल
दूर कब किनार बा

लेखनी चलत रहल
आ रहल निखार बा